मुंबई। औरंगजेब की कब्र को राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की सूची से हटाने की मांग अब तूल पकड़ने लगी है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद राहुल शेवाले ने गुरुवार को केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से इस संबंध में मुलाकात की और उन्हें एक पत्र सौंपा। उनका कहना है कि औरंगजेब की कब्र को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा प्राप्त है, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत संरक्षित है। ऐसे में इस कब्र सरकारी संरक्षण प्राप्त है, जबकि कई वर्षों से इस कब्र को उखाड़ने की मांग की जा रही है।
राहुल शेवाले ने पत्र में औरंगजेब की कब्र को संरक्षित स्मारक से हटाने की मांग को सशक्त रूप से उठाया है। उनका कहना है कि औरंगजेब का इतिहास अत्याचार और धार्मिक असहिष्णुता का प्रतीक बन चुका है, विशेष रूप से महाराष्ट्र में, जहां उसकी क्रूरता और सम्राट छत्रपति संभाजी महाराज के साथ किए गए अत्याचारों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। साल 1689 में छत्रपति संभाजी महाराज की निर्मम हत्या की गई और इससे पहले धर्म परिवर्तन न करने पर उन्हें 40 दिनों तक नृशंस यातनाएं दी गईं। ये घटनाएं औरंगजेब के शासन के क्रूर पक्ष को उजागर करती हैं।
शिवसेना नेता ने कहा कि हालांकि यह स्मारक राष्ट्रीय महत्व का है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीन आता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि औरंगजेब की कब्र को कब और कैसे संरक्षित स्मारक का दर्जा दिया गया था। वर्तमान में यह स्थल 'प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958' के तहत संरक्षित है।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि महाराष्ट्र सरकार इस कब्र को हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठा सकती, क्योंकि यह एएसआई के अधिकार क्षेत्र में है। एएसआई के कानून के अनुसार, किसी स्मारक को सूची से हटाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है। उन्होंने संस्कृति मंत्री को संबोधित करते हुए लिखा है, "इसलिए, मैं आपसे विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि आप इस मामले को देखें और संबंधित अधिकारियों को औरंगजेब के मकबरे को राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की सूची से हटाने का निर्देश दें। ऐसा करना लोगों की भावनाओं के अनुरूप होगा और इस स्थल के संबंध में उचित कार्रवाई करने की अनुमति देगा।"
यदि केंद्रीय मंत्री इस मांग को स्वीकार करते हैं, तो संभाजी नगर (पूर्व में औरंगाबाद) के खुलताबाद में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने का रास्ता साफ हो जाएगा, जो कई वर्षों से विवाद का केंद्र बनी हुई है। शेवाले ने इस कदम को लोगों की भावनाओं के अनुरूप और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से उचित बताया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश के लोगों की भावनाओं के अनुरूप होगा, जिन्होंने औरंगजेब के अत्याचारों के कारण उसे नकारात्मक दृष्टिकोण से देखा है।